चित्रकूट के पास एक श्यामदास नाम के उच्चकोटी के नाम जापक महात्मा थे । एक दिन एक लड़का उनके पास आकर बोला की हमको संसार से विरक्ति होने लगी है । उनसे महात्मा से साधन पूछा तो उन्होंने कहां की भगवान को नाम तुम्हे पसंद हो उसको जपने लग जाओ और वैष्णवी आचार विचार का पालन करो । उसको श्री सीताराम जी का रूप व नाम प्रिय था । वह श्री सीताराम श्री सीताराम इस नाम का आश्रय लेकर भजन करने लगा । कई दिनों तक भजन करता रहा और एक दिन जप करते करते उसको बहुत सी आवाजे आयी – जय हो जय हो । अगले तीन चार दिन फिर कुछ आवाजे आयी – बेटा अति सुंदर, जय हो । उस बालक को लगा की लगता है कुछ गड़बड़ है । वह बालक श्यामदास जी के पास आकर सारी बात बताकर बोला – संत जी, क्या मुझसे कोई अपराध बन रहा है या किसी तरह की बीमारी है ? श्यामदास जी ने ध्यान लगाकर देखा तो प्रसन्न होकर बोले : बच्चा!तेरे इस शरीर के और पूर्व के शरीरों के पितृगण विविध योनियों से मुक्त होकर भगवान के धाम को जा रहे है और वे ही तुम्हारी जय जय कार करते है । कुछ और पितृगण बच गए है । पांच दिनों तक तुम्हे इनकी आवाज आएगी । इसके बाद बंद हो जाएगी ।
आस्फोट यन्ति पितरो नृत्यन्ति च पितामहाः ।
मद्वंशे वैष्णवो जातः स नस्त्राता भविष्यति ।।
(पद्मपुराण)
जब किसी वंश मे वैष्णव उत्पन्न होता है (या वैष्णव दीक्षा ग्रहण करता है) तो पितृ पितामह प्रसन्न होकर नृत्य करते है कि हमारे वंश में भगवान का भक्त उत्पन्न हुआ है, अब यह नाम जपेगा कथा सुनेगा संत सेवा करेगा । हमारा तो उद्धार निश्चित है ।
पेज नॉट फण्ड बता रहा है। पहले बहुत आसानी से कथा पढ़ने का आनन्द मिल रहा था।
अब बहुत प्रॉब्लम हो रही है। कृपया समाधान करिये🙏🙏
On Fri, Nov 19, 2021, 10:29 PM श्री भक्तमाल Bhaktamal katha wrote:
> श्री गणेशदास कृपाप्रसाद posted: ” चित्रकूट के पास एक श्यामदास नाम के
> कच्चकोटी के नाम जापक महात्मा थे । एक दिन एक लड़का उनके पास आकर बोला की हमको
> संसार से विरक्ति होने लगी है । उनसे महात्मा से साधन पूछा तो उन्होंने कहां
> की भगवान को नाम तुम्हे पसंद हो उसको जपने लग जाओ और वैष्णवी आचार विचार ”
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